बच्चा जो कभी बूढ़ा नहीं हुआ | शिव जी की व्रत कथा मृकंदु ऋषि ने, शिव की तपस्या करके पुत्र का वरदान मांगा। शिव प्रकट हुए और पूछने लगे, “तुम अधिक आयु वाला साधारण पुत्र चाहते हो अथवा मात्र 16 वर्ष की आयु वाला बुद्धिमान और तेजस्वी पुत्र चाहते हो?” मृकंदु ने सोचा, “अगर मैं बुद्धिमान पुत्र मांगता हूं तो वह 16 वर्ष की उम्र में ही मर जाएगा, लेकिन अगर मैं अधिक आयु वाला पुत्र मांगता हूं तो वह बुद्धिमान नहीं होगा। उन्होंने बुद्धिमान पुत्र मांगा लिया। कुछ ही दिनों में उनकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम उन्होंने मार्कंडेय रखा। वह बहुत सुंदर बुद्धिमान दयालु और सभी गुणों से परिपूर्ण था। जब मार्कंडेय 16 वर्ष का होने वाला था तो उसके माता-पिता ने उसे उसकी मृत्यु की बात बता दी। मार्कंडेय कहने लगा, “मैं नहीं मरूंगा। मैं शिव की पूजा करूंगा।” उसने हर दिन शिव की पूजा करनी शुरू कर दी। उसके सोल्वे जन्मदिन पर यमराज से लेने आ पहुंचे। मार्कंडेय ने उनसे कहा, “मुझे अपनी पूजा समाप्त कर लेने दो।” यम नाराज हो गए और उन्होंने उसके ऊपर यम पाश फेंका। शिव प्रकट हो गए और उन्होंने यम को यमलोक लौट जाने का आदेश दे दिया और बोले, “वापस पृथ्वी पर मत आना।” यम चले गए। उसके बाद से पृथ्वी पर किसी की मृत्यु नहीं हुई। पृथ्वी पर आबादी बहुत बढ़ गई। देवी पृथ्वी शिव के पास गई और कहने लगी, ” मैं इतना भर नहीं उठा सकती। कृपया यमराज को पृथ्वी पर भेजिए।” जब शिव ने इनकार किया तो वह सहायता के लिए पार्वती के पास पहुंची। पार्वती ने भी शिव से अनुरोध किया तो शिव भोले, ” यमराज ने मेरे भक्तों का अपमान किया था।” पार्वती ने कहा, “किंतु आपने ही तो कहा था कि मारकंडे 16 वर्ष से अधिक नहीं जिएगा। इसीलिए यमराज उसे लेने गए थे।” शिव निरुत्तर हो गए। इस पर पार्वती बोली, ” शायद आपका, आश्ये होगा कि मारकंडे सदैव 16 बरस का रहेगा। इसी बात को यमराज समझ नहीं पाए होंगे। शिव तुरंत प्रसन्न होकर बोले, “बिल्कुल यही बात थी” उन्होंने तुरंत यमराज को पृथ्वी पर जाने की अनुमति दे दी और मार्कंडेय सदैव 16 वर्ष का ही रह…